आपने कई बार देखा होगा कि कुछ तांत्रिक सिर्फ आपका चेहरा देखकर आपके बारे में बता देते हैं .आपका नाम बता देते हैं, आपके माता-पिता का नाम बता देते हैं, आप क्या काम करते हैं ,आपकी समस्या क्या है, आपके मन में क्या है ,आपके पर्स में कितने रुपए हैं ,यहां तक बता देते हैं .और कुछ तांत्रिक आपको एक कागज देते हैं जिस पर वह आपको लिखने के लिए देते हैं कि आप अपनी समस्या लिखे हैं या कागज पर फूल का नाम लिखने के लिए दे देते हैं ,और उसके बाद वह यह बता देते हैं कि ,आपने उस पर क्या लिखा है और आप आश्चर्यचकित हो जाते हैं .और आपका उनके प्रति श्रद्धा और विश्वास पड़ जाता है.
लेकिन सोचने वाली बात यह है कि यह किस विद्या से ऐसा बताते हैं क्योंकि ज्योतिष में तो ऐसा संभव नहीं है जोतिष में गणना के आधार पर ही भूत भविष्य वर्तमान के बारे में एक अंदाज लगाया जा सकता है क्योंकि ज्योतिष सही वहां पर भी नहीं हो पाता है जबकि तांत्रिक आपके भूतकाल भविष्य काल को बहुत अच्छी तरीके से बता देते हैं.
यह सब बताने वाले तांत्रिक 3 तरह के होते हैं. पहले होते हैं छोटी शक्तियों के साधक या नेगेटिव एनर्जी शक्तियों के साधक.
दूसरे होते हैं .उनसे उच्च शक्तियों के साधक और तीसरे होते हैं महाविद्या के साधक
अक्सर तांत्रिक छोटी शक्तियों जैसे कर्ण पिशाचिनी बामकी एवं पंचांगुली साधना सिद्ध कर लेते हैं, इनमें से पंचांगुली साधना ज्योतिष की एक विद्या है जो सात्विक विद्या है और यह व्यक्ति को धीरे धीरे ज्योतिष का बहुत अच्छा ज्ञान कराती है जिससे व्यक्ति अपने आप ज्योतिष में आगे बढ़ता चला जाता है और उसके अनुमान काफी हद तक सही होने लगते हैं
जबकि कर्ण पिशाचिनी और बामकी साधनाएं पिशाच वर्ग की साधना हैं जिन्हें आप नेगेटिव एनर्जी भी समझ सकते हैं इनमें से कर्ण पिशाचिनी सिर्फ 13 दिन में सिद्ध हो जाती है परंतु यह एक खतरनाक विद्या दी है क्योंकि यह नेगेटिव एनर्जी वर्ग के साधक हो जाते हैं
कुछ साधकों का यह अनुभवी रहा है कि जब उन्होंने कर्ण पिशाचिनी सिद्दीकी तो शुरू में तो यह सही रहा लेकिन धीरे-धीरे उस पिशाचिनी ने उनके ऊपर कब्जा जमाना शुरू कर दिया .इस वर्ग के साधक मांस मदिरा में यकीन रखते हैं क्योंकि यही सब उन्हें उसे देना होता है .और मैंने कई साधकों को ऐसा भी देखा है कि कर्ण पिशाचिनी की साधना करते करते कर्ण पिशाचिनी की साधना करते करते वह विक्षिप्त भी हो गए
उनमें से एक का अनुभव ऐसा रहा कि जब उसने कर्ण पिशाचिनीकी साधना की तो पहले तो वह एक ही रही धीरे-धीरे 1,2,3,4,5,6, इकट्ठे होती चली गई ,और उन्होंने फिर उसके आदेशों को मानने से इंकार कर दिया और धीरे-धीरे साधक के ऊपर ही कब्जा कर लिया ,इसके कारण साधक विक्षिप्त हो गया
अभी हमारा विषय यह नहीं है हमारे विषय यह है कि तांत्रिक भूत भविष्य वर्तमान कैसे बताते हैं तो इसमें कई साधक बामकी और कर्ण पिशाचिनी विद्या का भी उपयोग करते हैं लेकिन इस प्रकार के साधक आपका सिर्फ भविष्य और भूतकाल ही बता सकते हैं, लेकिन क्योंकि जब वो आपको इतना सारा बता देते हैं ,तो आप अपने आप उनके प्रति श्रद्धा से भर जाते हैं इसके बाद उनका खेल शुरू होता है, और वह भविष्य बताने के नाम पर आपको डरा कर आपसे पैसा इतना शुरू कर देते हैं ,क्योंकि उनका उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना ही होता है ,दूसरे प्रकार के साधक जिन्हें अप्सरा और योगिनी सिद्धि होती है वह भी भूत भूत और वर्तमान बता सकते हैं उनका कुछ हद तक वर्तमान में भी हस्तक्षेप होता है और भूत तो वह पूरा ही बताते हैं इसके अलावा भविष्य में भी कुछ घटनाओं को बता सकते हैं लेकिन साधकों के साथ भविष्य बताने की मनाही होती है इस कारण यह भविष्य बताते नहीं है
दूसरा योगिनी और अप्सरा साधना जो करते हैं यह साधनाएं उनको पैसे से धन से हर तरीके से जो भी उनकी इच्छाएं होती हैं ,जो भी उनकी समस्याएं होती हैं, सारा समाधान कर देती हैं तो इस प्रकार के साधक जब धन से और हर प्रकार से सुखी हो जाते हैं तो उनका किसी भी व्यक्ति के बारे में भूत भविष्य वर्तमान बनाने में कोई रुचि नहीं रह जाती है, क्योंकि उनका उद्देश्य से कमाना होता ही नहीं है, जो उनके पास पर्याप्त पहले से ही होता है ,इस प्रकार के साधक बड़ी मुश्किल से आपके बारे बताएंगे ,अगर आप उनके पीछे लगेंगे तो,
तीसरे प्रकार के साधक होते हैं महाविद्या के साधक इनमें आती हैं बगलामुखी माता जी कमला तारा इस प्रकार किए दसमहाविद्या होती हैं .इनके साधकों के सामने जब आप जाते हैं तो आप का भूत भविष्य और वर्तमान भी इनके सामने चलचित्र की तरह सामने आ जाता है .इनके साथ भी जीवन में कोई समस्या नहीं होती है. इनके पास धन से लेकर हर चीज पर्याप्त मात्रा में होती है. इसलिए यह साधक भी आपको भूत भविष्य वर्तमान बताने में ज्यादा रुचि नहीं लेते हैं .बल्कि इनके सामने आपका सारा भविष्य ही सामने आ जाता है लेकिन क्योंकि इस प्रकार के तांत्रिकों के सामने प्रकृति के नियमों से छेड़छाड़ न करने की शर्त रहती है.
या यह समझें कि भविष्य बताने की मनाही होती है, परंतु जब व्यक्ति इनके सामने जाता है. तो भविष्य में यदि कुछ अनिष्ट होना है तो यह सीधे-सीधे ना कह कर उसे घुमा फिरा कर बताते हैं,
या फिर आपके लिए वह उपाय बता देते हैं जिन उपायों को करने से आपका जीवन सुचारू रूप से चलता रहे
और किसी प्रकार की दुर्घटना ना हो
कुल मिलाकर तीनों प्रकार के साधकों की विशेषताएं अलग-अलग हैं लेकिन एक बात आप स्पष्ट रूप से समझ लीजिए कि अगर कोई साधक या तांत्रिक ज्योतिष आपका भविष्य बताने का दावा कर रहा है और साथ ही वह आपसे पैसों की मांग करता है तो यह स्पष्ट रूप से समझ लीजिएगा प्रथम श्रेणी का नेगेटिव एनर्जी का साधक है
क्योंकि अप्सरा योगिनी या महाविद्या के साधक कभी भी आपसे पैसे की मांग नहीं करेंगे और यही इनकी पहचान है बस इन्हें ढूंढना थोड़ा मुश्किल हो जाता है
शायद इस विषय पर हम सभी ने कभी ना कभी विचार किया होगा और पाया होगा कि शायद उसका कोई निष्कर्ष नहीं मिला वैसे तो लोगों से पूछने पर अक्सर एक ही उत्तर मिल जाता है की ना जाने उसके भाग्य में कितने दुख रहे होंगे जो उसके उपासना करने से कम हो गए इस कारण वह व्यक्ति इतना दुखी है
दरअसल हमारे जो शास्त्र हैं मुगलों के आक्रमण के कारण वह नष्ट हो गए और हमारी जो पूरी पूजा पद्धति है वह कहीं न कहीं आधी अधूरी सी हो गई और हमें उस पद्धति का पूरा ज्ञान ना होने के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है
जब हम किसी भी मंत्र का जाप करते हैं या साधना करते हैं तो हम यह समझते हैं कि हम एकांत में बैठकर बिना किसी के जानकारी के यह साधना कर रहे हैं दरअसल ऐसा होता नहीं है हम जब भी कोई पूजा पाठ या साधना करते हैं तो वह साधना वह मंत्र उपचार वह पूजन पाठ सारे ब्रह्मांड में गूंजता है और इस ब्रह्मांड में रहने वाली सारी नकारात्मक उर्जा को आकर्षित करता है
जिस कारण वह शक्तियां आपके जीवन में उथल-पुथल मचा देती हैं पूजा पद्धति का सही ज्ञान ना होने के कारण हमारी स्थिति युद्ध में गए उस योद्धा की तरह होती है
जिसकी पास अपने बचाव के लिए कुछ भी नहीं होता है ऐसी स्थिति में हमारा चोट खाना तो बिल्कुल सही होता है और यही साधना में होता है
हम साधना भी बिना किसी रक्षा के शुरू कर देते हैं और हम यही गलती करते हैं जबकि हमारे शास्त्रों में हर साधना के लिए कवच कीलक होता है अगर हम इन का जाप करते हैं तो हम ब्रह्मांड की नकारात्मक शक्तियों से काफी हद तक सुरक्षित हो जाते हैं
काफी साधकों का ऐसा अनुभव ही रहा कि जब उनके ऊपर इन ब्रह्मांड की नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव हुआ जिन्हें हम आम बोलचाल की भाषा में डाकनी और शाकिनी कहते हैं यह साधक की साधना को नष्ट करने के लिए आती है
साधकों को सपना आते हैं और उन स्वप्न में यह नकारात्मक ऊर्जा नग्न स्त्री का रूप धारण करके आपके साथ जबरन संभोग करती हैं
साधक को ऐसा महसूस होता है जैसे यह सब वास्तविकता में हो रहा हो और उस पर एक वजह और होती है कि यह शक्तियां आपके परिवार में ऐसे व्यक्ति का रूप धारण करके आती हैं
जिसके बारे में ऐसा करना तो दूर सूचना भी पाप है यह कभी आपकी बहन बेटी मौसी बुआ ऐसे रिश्ते का स्वरूप लेकर आती हैं और आपके साथ साधक के साथ जबरन संबंध बनाती हैं
इस कारण साधक मानसिक और शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो जाता है और उसकी साधना कहीं ना कहीं खंडित हो जाती है
बगलामुखी साधना में इन सब से बचने के लिए बगलामुखी स्त्रोत, बगलामुखी कवच का एक एक बार पाठ करना चाहिए और इन सब के साथ यदि आपके ऊपर नकारात्मक शक्तियों का बहुत ज्यादा प्रभाव तो आप बगुला सूक्त के 9 पाठ प्रतिदिन9 दिन तक करें
अगर आप चाहेंगे तो मैं इनके स्त्रोत आपके लिए यहां प्रकाशित करूंगा क्योंकि इन जाटों का शुद्ध रूप में मिलना बहुत मुश्किल है
बगुला सूक्त के जाप से आपको हर प्रकार के तांत्रिक प्रयोगों से सुरक्षा भी मिलेगी कहा तो यह तक गया है के हिंदू धर्म शास्त्र में सबसे बड़ा प्रयोग भी इसके सामने असर हीन हो जाता है यानी यह आपको हर प्रकार के तांत्रिक प्रयोगों से सुरक्षा देता है
बगलामुखी साधना एक परिचय
प्राचीन काल में सतयुग में एक बहुत ही भीषण तूफान आया इससे होने वाली हानि की चिंता करके भगवान विष्णु ने जब अन्य कोई उपाय ना मिला तो उन्होंने सौराष्ट्र नामक प्रांत में हरिद्रा नाम के सरोवर के निकट मां भवानी की प्रसन्नता हेतु तब किया जिसके परिणाम स्वरूप देवी के बगलामुखी स्वरूप की प्रादुर्भाव हुआ और उन्होंने उस भयानक तूफान को शांत कर दिया यह देवी अपने साधनों के इच्छा अनुसार उनकी सर्व प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण करती है
इनका प्रादुर्भाव मंगलवार को चतुर्दशी में अर्धरात्रि में हुआ था और यह विष्णु के तेज से युक्त होने के कारण वैष्णवी हैं और इनका प्रयोग स्तंभन विद्या के रूप में बहुत ज्यादा किया जाता है इनका उपयोग शांति कर्म धन हानि के लिए पौष्टिक एवं शत्रु के विनाश के लिए अभिशाप कुकर्म के रूप में भी होता है वैसे यह विद्या श्री कुल की विद्या है इसलिए इस विद्या के प्रयोग से धन भोग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त किया जा सकता है और इसके साधक को हर वह दुर्लभ वस्तु प्राप्त हो सकती है जो किसी और को नहीं मिल सकती बगलामुखी के साधक को कई प्रकार की सिद्धियां भी प्राप्त हो जाती हैं जिनमें एक सबसे बड़ी सिद्धि अगर कहा जाए तो यह है कि उसे वाणी सिद्ध हो जाती है यानी कहां जाए तो उसके मुंह से निकला हुआ हर वाक्य सत्य हो जाता है यह चुकी स्तंभन विद्या है इस कारण जहां पर इनका जाप किया जाता है वह स्थान एकदम शांत हो जाता है और वहां बैठने से लोगों को बड़ी शांति भी मिलती है
मां बगलामुखी के बारे में बहुत सारे लोगों को सिर्फ यह बाद ज्ञात है कि इनकी उपासना शत्रु के विनाश हेतु ही की जाती है जबकि यह माता श्री कुल की है जिस कारण इनकी उपासना से धन प्राप्त होता है इनके साधकों को धर्म अर्थ काम मोक्ष सभी पद प्राप्त हो जाते हैं अगर कभी आप इनके मंत्र पर गौर करें तो पाएंगेकि इनका मंत्र दुष्टों के विनाश हेतु है संसार से सभी दुष्टों का विनाश हो एवं हम सब सुखी एवं संपन्न रहें यह भावना है परंतु भ्रम के कारण जनमानस इसे सिर्फ शत्रु संघार की देवी समझते हैं साथ ही इनके बारे में कई और भी भ्रांतियां हैं जैसे यह बहुत उग्र देवी हैं यह साधना बहुत उग्र है परंतु शायद हम भूल जाते हैं की यदि देवी की उपासना मां मानकर की जाए तो मां चाहे जैसी भी हो हमेशा हर हाल में अपने पुत्र का भला ही चाहेगी चाहे वह तो कैसी भी गलती क्यों ना करते मां का हृदय उसे क्षमा कर देता है तो मेरा तो आप सभी लोगों से यही कहना है की यदि आप इस कलयुग में अपना और अपने परिवार का हित चाहते हैं परोपकार चाहते हैं तो इस साधना को अवश्य करें.
मां बगलामुखी के बारे में बहुत सारे लोगों को सिर्फ यह बाद ज्ञात है कि इनकी उपासना शत्रु के विनाश हेतु ही की जाती है जबकि यह माता श्री कुल की है जिस कारण इनकी उपासना से धन प्राप्त होता है इनके साधकों को धर्म अर्थ काम मोक्ष सभी पद प्राप्त हो जाते हैं अगर कभी आप इनके मंत्र पर गौर करें तो पाएंगेकि इनका मंत्र दुष्टों के विनाश हेतु है संसार से सभी दुष्टों का विनाश हो एवं हम सब सुखी एवं संपन्न रहें यह भावना है परंतु भ्रम के कारण जनमानस इसे सिर्फ शत्रु संघार की देवी समझते हैं साथ ही इनके बारे में कई और भी भ्रांतियां हैं जैसे यह बहुत उग्र देवी हैं यह साधना बहुत उग्र है परंतु शायद हम भूल जाते हैं की यदि देवी की उपासना मां मानकर की जाए तो मां चाहे जैसी भी हो हमेशा हर हाल में अपने पुत्र का भला ही चाहेगी चाहे वह तो कैसी भी गलती क्यों ना करते मां का हृदय उसे क्षमा कर देता है तो मेरा तो आप सभी लोगों से यही कहना है की यदि आप इस कलयुग में अपना और अपने परिवार का हित चाहते हैं परोपकार चाहते हैं तो इस साधना को अवश्य करें.
इनका मंदिर दतिया मध्य प्रदेश में पीतांबरा पीठ के नाम से स्थित है जहां पर स्वामी जी ने इनके साक्षात दर्शन किए थे और लोगों को इनकी कृपा प्राप्ति के रास्ते बताए थे स्वामी जी स्वयं सिद्ध महात्मा थे जिन्हें मां साक्षात सिद्ध रही हैं और इस मंदिर मैं इतना तब हुआ है कि यदि आप इस मंदिर के अंदर जब प्रवेश करेंगे तो आपको एक परम शांति का अनुभव होगा आपकी जो परेशानियां दुख तकलीफ है हैं वह मंदिर के बाहर ही छूट जाएंगे आप यहां आकर एक शांति का अनुभव करेंगे जो शायद आपको बाहर कहीं नहीं मिलेगी