तृतीय आंख या थर्ड आई खुलने से क्यों लोग विक्षिप्त हो जाते हैं

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  तृतीय आंख या थर्ड आई खुलने से क्यों लोग विक्षिप्त हो जाते हैं


हम जिसे  थर्ड आंख कहते हैं वह हमारे दोनों भौहों के मध्य में स्थित एक चक्र है जिसे साधना के द्वारा जागृत किया जा सकता है अक्सर लोग बाग  ध्यान से या किसी योगिक क्रिया से या छोटी साधनों के माध्यम से भी इसे जागृत कर लेते हैं कई लोगों में यह दुर्घटना  या किसी अचानक हुई घटना के कारण भी एक्टिवेट हो जाता है जब भी थर्ड आई एक्टिवेट होती है तो यह हमारे लिए एक तरह से तीसरा संसार खोल देती है और हमें उस संसार की सारी चीजें दिखाई देने लगती हैं अनुभव होने लगती हैं इसके साथ ही हमें कुछ छोटी मोटी सिद्धियां भी आ जाती हैं जिनके कारण हम लोगों का भूत भविष्य वर्तमान बताने लगते हैं हमारे पास जब कोई व्यक्ति आता है तो उसके बारे में सारी जानकारी हमें पता है प्राप्त होने लगती है इस तरह से हम लोगों को उनके बारे में बहुत कुछ बता देते हैं और लोग हमें बहुत पहुंचा हुआ सिद्ध या महात्मा समझने लगते हैं दरअसल तृतीय आंख जागृत होना साधना की एक अवस्था है और उसके पश्चात भी एक अवस्था और है वह अंतिम चक्र जागृत करना यदि हम इन सातों चक्रों को जागृत कर लेते हैं तो हम ईश्वर से या जिसे हम परमेश्वर कहते हैं साक्षात्कार प्राप्त कर लेते हैं और हमें वह सारी दृष्टि प्राप्त हो जाती है जिससे हम तीनों  लोको को देख सकते हैं और साथ में अपने आराध्य के साथ संपर्क कर सकते हैं लेकिन जिन लोगों की थर्ड आई जागृत हो जाती है वह अक्सर यह गलती करते हैं कि सांसारिक माया मोह में फंस जाते हैं  लोग उन्हें पूजने लगते हैं वह पूजने लगते हैं और अक्सर इसी चक्कर में वह अपने आप को परम ब्रह्म या ईश्वर समझ लेते हैं कि मैं तो सब कुछ कर सकता हूं सब के बारे में जानता हूं और यहीं से साधक का पतन आरंभ हो जाता है क्योंकि जब  हम सब कुछ अपने को मान लेते हैं .तो हमें नीचे आना ही पड़ता है .ज्ञान की समाप्ति भी उसी क्षण हो जाती है ,जब हम अपने आप को ज्ञानी समझ लेते हैं


third eye opening symptoms

इन सब में एक स्थिति और भी आती है कि जब आप बहुत अच्छे जानकार बन जाते हैं स्त्रियां आपसे बहुत आकर्षित होती हैं उनकी समस्याएं भी होती हैं और  आप उनकी समस्याओं का भी लेते हैं, तो ऐसे में जब आप उनके संपर्क में आते हैं ,तो कहीं ना कहीं आप उनसे संबंध बनने लगते हैं, और यही साधना पर से हटा भी देते हैं, कई बार और इसके अलावा तृतीय संसार आपके सामने दिखाई देने के कारण आपको भूत प्रेत आत्माएं यह सारी चीजें देखने लगती हैं, और कई बार यह आपसे संपर्क भी करती हैं. कई बार इनके काम भी होते हैं .कई बार आपसे कुछ काम करवाती भी है. और कई बार है आपके ऊपर आक्रमण करके आपको अपने कब्जे में करने की कोशिश भी करने लगते हैं. सब कारण से व्यक्ति विक्षिप्त होने लगता है .और अक्सर जब हम थर्ड आई खोल लेते हैं. तो व्यक्ति  विक्षिप्त हो जाता है,

तीसरी आंख खोलने के खतरे

उससे  बचने का सबसे बढ़िया उपाय यह है. कि यदि थर्ड आई हम अपनी खोलना भी चाह रहे हैं भले ध्यान के माध्यम से, खोलना जा रहे हो  या किसी और माध्यम से खोलना चाह रहे हो, तो हमें किसी ने किसी देवी या देवता की शरण में जरूर रहना चाहिए ,क्योंकि अगर हम मंत्रों के माध्यम से या पूजा पाठ के माध्यम से साथ  थर्ड आई खोलते हैं ,तो उस स्थिति में हमें यह सारे नुकसान नहीं होते हैं .क्योंकि हमारे थर्ड आई खुलने से जो शरीर में ऊर्जा का संचार होता है या यूं कहें कि बहुत सारी ऊर्जा हमारे शरीर में जब आती है. तो उसको ही हमारे देवी देवता संभाल लेते हैं. उसे बैलेंस कर देते हैं. अगर हम इनके बगैर तृतीय नेत्र खोलते हैं ,तो वह जो ऊर्जा जाती है उसे बैलेंस कर पाना हमारे शरीर के बस के बाहर हो जाता है .और ऐसे में वह ऊर्जा हमें नुकसान पहुंचा जाती है. हमारे मानसिक रूप से विक्षिप्त कर देती है .और कुछ लोगों का तो यह भी हो जाता है .इन सब भूत-प्रेतों के चक्कर में पड़कर अपनी सारी साधना ही खराब कर लेते हैं. तो मेरा तो यही मानना है कि अगर आप  थर्ड आई विकसित करना चाहते हैं ,जगाना चाहते हैं तो साधना के माध्यम से जगाए मंत्रों के माध्यम से  जगाएं, देवी देवताओं के सानिध्य में जगाए ताकि अगर कुछ उसका उल्टा प्रभाव आए तो जिस व्यक्ति देवता की आराधना कर रहे हैं ,वह देवी देवता आपको अनिष्ट ना होने देगा और यही एक सही तरीका है .अन्यथा तृतीय  आंख जगाने के के बहुत सारे तरीके हैं, और उनके दुष्परिणाम भी बहुत हैं. मैंने अपने अनुभव में यही पाया कि यदि आप अपने देवता के सानिध्य में  थर्ड आई विकसित कर रहे हैंरहे हैं, तो आप सुरक्षित रहेंगे और इसके आगे  की साधना भी आपकी सफल होती जाएगी और एक न एक दिन आप अपने परमेश्वर को पा लेंगे. और यही साधना का अंतिम लक्ष्य होता है .धर्म अर्थ काम मोक्ष .

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