बगलामुखी साधना एक परिचय
प्राचीन काल में सतयुग में एक बहुत ही भीषण तूफान आया इससे होने वाली हानि की चिंता करके भगवान विष्णु ने जब अन्य कोई उपाय ना मिला तो उन्होंने सौराष्ट्र नामक प्रांत में हरिद्रा नाम के सरोवर के निकट मां भवानी की प्रसन्नता हेतु तब किया जिसके परिणाम स्वरूप देवी के बगलामुखी स्वरूप की प्रादुर्भाव हुआ और उन्होंने उस भयानक तूफान को शांत कर दिया यह देवी अपने साधनों के इच्छा अनुसार उनकी सर्व प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण करती है
इनका प्रादुर्भाव मंगलवार को चतुर्दशी में अर्धरात्रि में हुआ था और यह विष्णु के तेज से युक्त होने के कारण वैष्णवी हैं और इनका प्रयोग स्तंभन विद्या के रूप में बहुत ज्यादा किया जाता है इनका उपयोग शांति कर्म धन हानि के लिए पौष्टिक एवं शत्रु के विनाश के लिए अभिशाप कुकर्म के रूप में भी होता है वैसे यह विद्या श्री कुल की विद्या है इसलिए इस विद्या के प्रयोग से धन भोग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त किया जा सकता है और इसके साधक को हर वह दुर्लभ वस्तु प्राप्त हो सकती है जो किसी और को नहीं मिल सकती बगलामुखी के साधक को कई प्रकार की सिद्धियां भी प्राप्त हो जाती हैं जिनमें एक सबसे बड़ी सिद्धि अगर कहा जाए तो यह है कि उसे वाणी सिद्ध हो जाती है यानी कहां जाए तो उसके मुंह से निकला हुआ हर वाक्य सत्य हो जाता है यह चुकी स्तंभन विद्या है इस कारण जहां पर इनका जाप किया जाता है वह स्थान एकदम शांत हो जाता है और वहां बैठने से लोगों को बड़ी शांति भी मिलती है
मां बगलामुखी के बारे में बहुत सारे लोगों को सिर्फ यह बाद ज्ञात है कि इनकी उपासना शत्रु के विनाश हेतु ही की जाती है जबकि यह माता श्री कुल की है जिस कारण इनकी उपासना से धन प्राप्त होता है इनके साधकों को धर्म अर्थ काम मोक्ष सभी पद प्राप्त हो जाते हैं अगर कभी आप इनके मंत्र पर गौर करें तो पाएंगेकि इनका मंत्र दुष्टों के विनाश हेतु है संसार से सभी दुष्टों का विनाश हो एवं हम सब सुखी एवं संपन्न रहें यह भावना है परंतु भ्रम के कारण जनमानस इसे सिर्फ शत्रु संघार की देवी समझते हैं साथ ही इनके बारे में कई और भी भ्रांतियां हैं जैसे यह बहुत उग्र देवी हैं यह साधना बहुत उग्र है परंतु शायद हम भूल जाते हैं की यदि देवी की उपासना मां मानकर की जाए तो मां चाहे जैसी भी हो हमेशा हर हाल में अपने पुत्र का भला ही चाहेगी चाहे वह तो कैसी भी गलती क्यों ना करते मां का हृदय उसे क्षमा कर देता है तो मेरा तो आप सभी लोगों से यही कहना है की यदि आप इस कलयुग में अपना और अपने परिवार का हित चाहते हैं परोपकार चाहते हैं तो इस साधना को अवश्य करें.
मां बगलामुखी के बारे में बहुत सारे लोगों को सिर्फ यह बाद ज्ञात है कि इनकी उपासना शत्रु के विनाश हेतु ही की जाती है जबकि यह माता श्री कुल की है जिस कारण इनकी उपासना से धन प्राप्त होता है इनके साधकों को धर्म अर्थ काम मोक्ष सभी पद प्राप्त हो जाते हैं अगर कभी आप इनके मंत्र पर गौर करें तो पाएंगेकि इनका मंत्र दुष्टों के विनाश हेतु है संसार से सभी दुष्टों का विनाश हो एवं हम सब सुखी एवं संपन्न रहें यह भावना है परंतु भ्रम के कारण जनमानस इसे सिर्फ शत्रु संघार की देवी समझते हैं साथ ही इनके बारे में कई और भी भ्रांतियां हैं जैसे यह बहुत उग्र देवी हैं यह साधना बहुत उग्र है परंतु शायद हम भूल जाते हैं की यदि देवी की उपासना मां मानकर की जाए तो मां चाहे जैसी भी हो हमेशा हर हाल में अपने पुत्र का भला ही चाहेगी चाहे वह तो कैसी भी गलती क्यों ना करते मां का हृदय उसे क्षमा कर देता है तो मेरा तो आप सभी लोगों से यही कहना है की यदि आप इस कलयुग में अपना और अपने परिवार का हित चाहते हैं परोपकार चाहते हैं तो इस साधना को अवश्य करें.
इनका मंदिर दतिया मध्य प्रदेश में पीतांबरा पीठ के नाम से स्थित है जहां पर स्वामी जी ने इनके साक्षात दर्शन किए थे और लोगों को इनकी कृपा प्राप्ति के रास्ते बताए थे स्वामी जी स्वयं सिद्ध महात्मा थे जिन्हें मां साक्षात सिद्ध रही हैं और इस मंदिर मैं इतना तब हुआ है कि यदि आप इस मंदिर के अंदर जब प्रवेश करेंगे तो आपको एक परम शांति का अनुभव होगा आपकी जो परेशानियां दुख तकलीफ है हैं वह मंदिर के बाहर ही छूट जाएंगे आप यहां आकर एक शांति का अनुभव करेंगे जो शायद आपको बाहर कहीं नहीं मिलेगी
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