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आध्यात्मिकता रुद्राक्ष

kiya karaya hatane ke upay

किया कराया वापस करने का उपाय

प्राचीन काल से तंत्र का उपयोग अपने शत्रुओं से बदला लेने के लिए बहुतायत से किया जाता रहा है और इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता है क्योंकि यदि आप सामने से किसी को नुकसान पहुंचाते हैं तो उस पर आप को भी नुकसान पहुंचने की संभावना बनी रहती है लेकिन तंत्र प्रयोग एक ऐसा प्रयोग होता है कि जिससे आप अपने शत्रु को मनचाहा कष्ट पहुंचा सकते हैं लेकिन आपके खिलाफ कोई सबूत भी नहीं रह सकता है और कोई आप पर आरोप नहीं लगा सकता है कि आपने इस प्रकार का उस पर तंत्र प्रयोग किया इसलिए कालांतर से इस प्रकार के प्रयोग लोगों के ऊपर किए जाते रहे होंगे कई बार लोग यह पूछते हैं कि मेरा तो कोई शत्रु नहीं है इसके बावजूद भी ऊपर तांत्रिक क्यों होते हैं तो इसका सीधा सा अर्थ यह होता है कि अगर आप तरक्की करते हैं अगर आप अच्छे से रहते हैं अगर आप सुख सुविधा संपन्न है तो लोग आपसे जलते हैं और इस ईर्ष्या वश इस तरह के प्रयोग कर देते हैं और उसमें सबसे खास बात यह रहती है कि कई बार ऐसे लोग भी प्रयोग करते हैं जिनका आप से कोई लेना-देना ही नहीं होता है सिर्फ वह आपसे जलने के कारण भी आपके ऊपर प्रयोग कर देते हैं तो मैं आज आपको इस प्रकार के तंत्र प्रयोगों से बचने का एक बहुत ही सटीक और सरल उपाय बताऊंगा जिसमें आपका खर्च कुछ भी नहीं आना है घर का कुछ सामान है जिससे प्रयोग करके आप अपने घर से तंत्र प्रयोग या एक तरह से कहे नेगेटिव एनर्जी को हटा सकते हैं इस प्रयोग करने के लिए आपको तीन वस्तुओं की आवश्यकता है एक पहली वस्तु है काली मिर्च 15 ग्राम कपूर 15 ग्राम हींग 15 ग्राम काली मिर्च को लेकर पीस लीजिए अच्छी तरह से और हींग को भी पीस लीजिए और कपूर को अपने हाथ से तोड़ कर मसल कर उसमें मिला दीजिए तीनों चीजों का पाउडर बना लें इस पाउडर की छह अलग-अलग पुड़िया बना ले इसके बाद एक कंडा या जिसे गोबर का गाय के गोबर का उपला कहते हैं उसे चलाएं और उस पर एक पुड़िया डाल दे और जब इसका धुआं होने  लगे तो इसे सारे घर में घुमा दे और अंत में बाथरूम में घुमा कर इस को घर के मध्य में रख दें यह प्रयोग सुबह और शाम करना है इस प्रकार 6 पुड़िया जो आपने बनाई थी प्रतिदिन दो पुड़िया आपके खत्म होंगे इस तरह यह प्रयोग आपको सिर्फ 3 दिन करना है सुबह और शाम को करना है इस प्रयोग को करने के बाद इसका असर आपको अपने व्यवसाय अपने स्वास्थ्य अपने धन अपनी मानसिक स्थिति पर तत्काल ही नजर आएगा प्रयोग कर कर देखें और बताएं


 कैसे बताते हैं तांत्रिक भूत भविष्य और वर्तमान



आपने कई बार देखा होगा कि कुछ तांत्रिक सिर्फ आपका चेहरा देखकर आपके बारे में बता देते हैं .आपका नाम बता देते हैं, आपके माता-पिता का नाम बता देते हैं, आप क्या काम करते हैं ,आपकी समस्या क्या है, आपके मन में क्या है ,आपके पर्स में कितने रुपए हैं ,यहां तक बता देते हैं .और कुछ तांत्रिक आपको एक कागज देते हैं जिस पर वह आपको लिखने के लिए देते हैं कि आप अपनी समस्या लिखे हैं या कागज पर फूल का नाम लिखने के लिए दे देते हैं ,और उसके बाद वह यह बता देते हैं कि ,आपने उस पर क्या लिखा है और आप आश्चर्यचकित हो जाते हैं .और आपका उनके प्रति श्रद्धा और विश्वास पड़ जाता है.

 लेकिन सोचने वाली बात यह है कि यह किस विद्या से ऐसा बताते हैं क्योंकि ज्योतिष में तो ऐसा संभव नहीं है जोतिष में गणना के आधार पर ही भूत भविष्य वर्तमान के बारे में एक अंदाज लगाया जा सकता है क्योंकि ज्योतिष सही वहां पर भी नहीं हो पाता है जबकि तांत्रिक आपके भूतकाल भविष्य काल को बहुत अच्छी तरीके से बता देते हैं.

 यह सब बताने वाले तांत्रिक 3 तरह के होते हैं. पहले होते हैं छोटी शक्तियों के साधक या  नेगेटिव एनर्जी शक्तियों के साधक.

 दूसरे होते हैं .उनसे उच्च शक्तियों के साधक और तीसरे होते हैं महाविद्या के साधक 

अक्सर तांत्रिक छोटी शक्तियों जैसे कर्ण पिशाचिनी बामकी  एवं पंचांगुली साधना सिद्ध कर लेते हैं, इनमें से पंचांगुली साधना ज्योतिष की एक विद्या है जो सात्विक विद्या है और यह व्यक्ति को धीरे धीरे ज्योतिष का बहुत अच्छा ज्ञान कराती है जिससे व्यक्ति अपने आप ज्योतिष में आगे बढ़ता चला जाता है और उसके अनुमान काफी हद तक सही होने लगते हैं 

जबकि कर्ण पिशाचिनी और बामकी   साधनाएं पिशाच वर्ग की साधना हैं जिन्हें आप नेगेटिव एनर्जी भी समझ सकते हैं इनमें से कर्ण पिशाचिनी सिर्फ 13 दिन में सिद्ध हो जाती है परंतु यह एक खतरनाक विद्या दी है क्योंकि यह  नेगेटिव एनर्जी वर्ग के साधक हो जाते हैं 

kaise batate hain bhavisy

कुछ साधकों का यह अनुभवी रहा है कि जब उन्होंने कर्ण पिशाचिनी सिद्दीकी तो शुरू में तो यह सही रहा लेकिन धीरे-धीरे उस पिशाचिनी ने उनके ऊपर कब्जा जमाना शुरू कर दिया .इस वर्ग के साधक मांस मदिरा में यकीन रखते हैं क्योंकि यही सब उन्हें उसे देना होता है .और मैंने कई साधकों को ऐसा भी देखा है कि कर्ण पिशाचिनी की साधना करते करते कर्ण पिशाचिनी की साधना करते करते वह विक्षिप्त भी हो गए 

उनमें से एक का  अनुभव ऐसा रहा कि जब उसने  कर्ण पिशाचिनीकी साधना की तो पहले तो वह एक ही  रही धीरे-धीरे 1,2,3,4,5,6, इकट्ठे होती चली गई ,और उन्होंने फिर उसके आदेशों को मानने से इंकार कर दिया और धीरे-धीरे साधक के ऊपर ही कब्जा कर लिया ,इसके कारण साधक विक्षिप्त हो गया

 अभी हमारा विषय यह नहीं है हमारे विषय यह है कि तांत्रिक भूत भविष्य वर्तमान कैसे बताते हैं तो इसमें कई साधक बामकी और कर्ण पिशाचिनी विद्या का भी उपयोग करते हैं लेकिन इस प्रकार के साधक आपका सिर्फ भविष्य और भूतकाल ही बता सकते हैं, लेकिन क्योंकि जब वो आपको इतना सारा बता देते हैं ,तो आप अपने आप उनके प्रति श्रद्धा से भर जाते हैं इसके बाद उनका खेल शुरू होता है, और वह भविष्य बताने के नाम पर आपको डरा कर आपसे पैसा इतना शुरू कर देते हैं ,क्योंकि उनका उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना ही होता है ,दूसरे प्रकार के साधक जिन्हें अप्सरा और योगिनी सिद्धि होती है वह भी भूत भूत और वर्तमान बता सकते हैं उनका कुछ हद तक वर्तमान में भी हस्तक्षेप होता है और भूत तो वह पूरा ही बताते हैं इसके अलावा भविष्य में भी कुछ घटनाओं को बता सकते हैं लेकिन साधकों के साथ भविष्य बताने की मनाही होती है इस कारण यह भविष्य बताते नहीं है

 दूसरा योगिनी और अप्सरा साधना जो करते हैं यह साधनाएं उनको पैसे से धन से हर तरीके से जो भी उनकी इच्छाएं होती हैं ,जो भी उनकी समस्याएं होती हैं, सारा समाधान कर देती हैं तो इस प्रकार के साधक जब धन से और हर प्रकार से सुखी हो जाते हैं तो उनका किसी भी व्यक्ति के बारे में भूत भविष्य वर्तमान बनाने में कोई रुचि नहीं रह जाती है, क्योंकि उनका उद्देश्य से कमाना होता ही नहीं है, जो उनके पास पर्याप्त पहले से ही होता है ,इस प्रकार के साधक बड़ी मुश्किल से आपके बारे बताएंगे ,अगर आप उनके पीछे लगेंगे तो,

Vartmaan

 तीसरे प्रकार के साधक होते हैं महाविद्या के साधक इनमें आती हैं बगलामुखी माता जी कमला तारा इस प्रकार किए दसमहाविद्या होती हैं .इनके साधकों के सामने जब आप जाते हैं तो आप का भूत भविष्य और वर्तमान भी इनके सामने चलचित्र की तरह सामने आ जाता है .इनके साथ भी जीवन में कोई समस्या नहीं होती है. इनके पास धन से लेकर हर चीज पर्याप्त मात्रा में होती है. इसलिए यह साधक भी आपको भूत भविष्य वर्तमान बताने में ज्यादा रुचि नहीं लेते हैं .बल्कि इनके सामने आपका सारा भविष्य ही सामने आ जाता है लेकिन क्योंकि इस प्रकार के तांत्रिकों के सामने प्रकृति के नियमों से छेड़छाड़ न करने की शर्त रहती है.

 या यह समझें कि भविष्य बताने की मनाही होती है, परंतु जब व्यक्ति इनके सामने जाता है. तो भविष्य में यदि कुछ अनिष्ट  होना है तो यह सीधे-सीधे ना कह कर उसे घुमा फिरा कर बताते हैं,

 या फिर आपके लिए वह उपाय बता देते हैं जिन उपायों को करने से आपका जीवन सुचारू रूप से चलता रहे 

और किसी प्रकार की दुर्घटना ना हो

 कुल मिलाकर तीनों प्रकार के साधकों की विशेषताएं अलग-अलग हैं लेकिन एक बात आप स्पष्ट रूप से समझ लीजिए कि अगर कोई साधक या तांत्रिक ज्योतिष आपका भविष्य बताने का दावा कर रहा है और साथ ही वह आपसे पैसों की मांग करता है तो यह स्पष्ट रूप से समझ लीजिएगा प्रथम श्रेणी का  नेगेटिव एनर्जी का साधक है 

 क्योंकि अप्सरा योगिनी या महाविद्या के साधक कभी भी आपसे पैसे की मांग नहीं करेंगे और यही इनकी पहचान है बस इन्हें ढूंढना थोड़ा मुश्किल हो जाता है


  तृतीय आंख या थर्ड आई खुलने से क्यों लोग विक्षिप्त हो जाते हैं


हम जिसे  थर्ड आंख कहते हैं वह हमारे दोनों भौहों के मध्य में स्थित एक चक्र है जिसे साधना के द्वारा जागृत किया जा सकता है अक्सर लोग बाग  ध्यान से या किसी योगिक क्रिया से या छोटी साधनों के माध्यम से भी इसे जागृत कर लेते हैं कई लोगों में यह दुर्घटना  या किसी अचानक हुई घटना के कारण भी एक्टिवेट हो जाता है जब भी थर्ड आई एक्टिवेट होती है तो यह हमारे लिए एक तरह से तीसरा संसार खोल देती है और हमें उस संसार की सारी चीजें दिखाई देने लगती हैं अनुभव होने लगती हैं इसके साथ ही हमें कुछ छोटी मोटी सिद्धियां भी आ जाती हैं जिनके कारण हम लोगों का भूत भविष्य वर्तमान बताने लगते हैं हमारे पास जब कोई व्यक्ति आता है तो उसके बारे में सारी जानकारी हमें पता है प्राप्त होने लगती है इस तरह से हम लोगों को उनके बारे में बहुत कुछ बता देते हैं और लोग हमें बहुत पहुंचा हुआ सिद्ध या महात्मा समझने लगते हैं दरअसल तृतीय आंख जागृत होना साधना की एक अवस्था है और उसके पश्चात भी एक अवस्था और है वह अंतिम चक्र जागृत करना यदि हम इन सातों चक्रों को जागृत कर लेते हैं तो हम ईश्वर से या जिसे हम परमेश्वर कहते हैं साक्षात्कार प्राप्त कर लेते हैं और हमें वह सारी दृष्टि प्राप्त हो जाती है जिससे हम तीनों  लोको को देख सकते हैं और साथ में अपने आराध्य के साथ संपर्क कर सकते हैं लेकिन जिन लोगों की थर्ड आई जागृत हो जाती है वह अक्सर यह गलती करते हैं कि सांसारिक माया मोह में फंस जाते हैं  लोग उन्हें पूजने लगते हैं वह पूजने लगते हैं और अक्सर इसी चक्कर में वह अपने आप को परम ब्रह्म या ईश्वर समझ लेते हैं कि मैं तो सब कुछ कर सकता हूं सब के बारे में जानता हूं और यहीं से साधक का पतन आरंभ हो जाता है क्योंकि जब  हम सब कुछ अपने को मान लेते हैं .तो हमें नीचे आना ही पड़ता है .ज्ञान की समाप्ति भी उसी क्षण हो जाती है ,जब हम अपने आप को ज्ञानी समझ लेते हैं


third eye opening symptoms

इन सब में एक स्थिति और भी आती है कि जब आप बहुत अच्छे जानकार बन जाते हैं स्त्रियां आपसे बहुत आकर्षित होती हैं उनकी समस्याएं भी होती हैं और  आप उनकी समस्याओं का भी लेते हैं, तो ऐसे में जब आप उनके संपर्क में आते हैं ,तो कहीं ना कहीं आप उनसे संबंध बनने लगते हैं, और यही साधना पर से हटा भी देते हैं, कई बार और इसके अलावा तृतीय संसार आपके सामने दिखाई देने के कारण आपको भूत प्रेत आत्माएं यह सारी चीजें देखने लगती हैं, और कई बार यह आपसे संपर्क भी करती हैं. कई बार इनके काम भी होते हैं .कई बार आपसे कुछ काम करवाती भी है. और कई बार है आपके ऊपर आक्रमण करके आपको अपने कब्जे में करने की कोशिश भी करने लगते हैं. सब कारण से व्यक्ति विक्षिप्त होने लगता है .और अक्सर जब हम थर्ड आई खोल लेते हैं. तो व्यक्ति  विक्षिप्त हो जाता है,

तीसरी आंख खोलने के खतरे

उससे  बचने का सबसे बढ़िया उपाय यह है. कि यदि थर्ड आई हम अपनी खोलना भी चाह रहे हैं भले ध्यान के माध्यम से, खोलना जा रहे हो  या किसी और माध्यम से खोलना चाह रहे हो, तो हमें किसी ने किसी देवी या देवता की शरण में जरूर रहना चाहिए ,क्योंकि अगर हम मंत्रों के माध्यम से या पूजा पाठ के माध्यम से साथ  थर्ड आई खोलते हैं ,तो उस स्थिति में हमें यह सारे नुकसान नहीं होते हैं .क्योंकि हमारे थर्ड आई खुलने से जो शरीर में ऊर्जा का संचार होता है या यूं कहें कि बहुत सारी ऊर्जा हमारे शरीर में जब आती है. तो उसको ही हमारे देवी देवता संभाल लेते हैं. उसे बैलेंस कर देते हैं. अगर हम इनके बगैर तृतीय नेत्र खोलते हैं ,तो वह जो ऊर्जा जाती है उसे बैलेंस कर पाना हमारे शरीर के बस के बाहर हो जाता है .और ऐसे में वह ऊर्जा हमें नुकसान पहुंचा जाती है. हमारे मानसिक रूप से विक्षिप्त कर देती है .और कुछ लोगों का तो यह भी हो जाता है .इन सब भूत-प्रेतों के चक्कर में पड़कर अपनी सारी साधना ही खराब कर लेते हैं. तो मेरा तो यही मानना है कि अगर आप  थर्ड आई विकसित करना चाहते हैं ,जगाना चाहते हैं तो साधना के माध्यम से जगाए मंत्रों के माध्यम से  जगाएं, देवी देवताओं के सानिध्य में जगाए ताकि अगर कुछ उसका उल्टा प्रभाव आए तो जिस व्यक्ति देवता की आराधना कर रहे हैं ,वह देवी देवता आपको अनिष्ट ना होने देगा और यही एक सही तरीका है .अन्यथा तृतीय  आंख जगाने के के बहुत सारे तरीके हैं, और उनके दुष्परिणाम भी बहुत हैं. मैंने अपने अनुभव में यही पाया कि यदि आप अपने देवता के सानिध्य में  थर्ड आई विकसित कर रहे हैंरहे हैं, तो आप सुरक्षित रहेंगे और इसके आगे  की साधना भी आपकी सफल होती जाएगी और एक न एक दिन आप अपने परमेश्वर को पा लेंगे. और यही साधना का अंतिम लक्ष्य होता है .धर्म अर्थ काम मोक्ष .

अधिक पूजा पाठ करने वाला व्यक्ति आखिर दुखी क्यों होता है

 

शायद इस विषय पर हम सभी ने कभी ना कभी विचार किया होगा और पाया होगा कि शायद उसका कोई निष्कर्ष नहीं मिला वैसे तो लोगों से पूछने पर अक्सर एक   ही उत्तर मिल जाता है की ना जाने उसके भाग्य में कितने दुख रहे होंगे जो उसके उपासना करने से कम हो गए इस कारण वह व्यक्ति इतना दुखी है

दरअसल हमारे जो शास्त्र हैं मुगलों के आक्रमण के कारण वह नष्ट हो गए और हमारी जो पूरी पूजा पद्धति है वह कहीं न कहीं आधी अधूरी सी हो गई और हमें उस पद्धति का पूरा ज्ञान ना होने के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है

जब हम किसी भी मंत्र का जाप करते हैं या साधना करते हैं तो हम यह समझते हैं कि हम एकांत में बैठकर बिना किसी के जानकारी के यह साधना कर रहे हैं दरअसल ऐसा होता नहीं है हम जब भी कोई पूजा पाठ या साधना करते हैं तो वह साधना वह मंत्र उपचार वह पूजन पाठ सारे ब्रह्मांड में गूंजता है और इस ब्रह्मांड में रहने वाली सारी नकारात्मक उर्जा को आकर्षित करता है

जिस कारण वह शक्तियां आपके जीवन में उथल-पुथल मचा देती हैं पूजा पद्धति का सही ज्ञान ना होने के कारण हमारी स्थिति युद्ध में गए उस योद्धा की तरह होती है

जिसकी पास अपने बचाव के लिए कुछ भी नहीं होता है ऐसी स्थिति में हमारा चोट खाना तो बिल्कुल सही होता है और यही साधना में होता है

हम साधना भी बिना किसी रक्षा के शुरू कर देते हैं और हम यही गलती करते हैं जबकि हमारे शास्त्रों में हर साधना के लिए कवच कीलक होता है अगर हम इन का जाप करते हैं तो हम ब्रह्मांड की नकारात्मक शक्तियों से काफी हद तक सुरक्षित हो जाते हैं

काफी साधकों का ऐसा अनुभव ही रहा कि जब उनके ऊपर इन ब्रह्मांड की नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव हुआ जिन्हें हम आम बोलचाल की भाषा में डाकनी और शाकिनी कहते हैं यह साधक की साधना को नष्ट करने के लिए आती है 

साधकों को सपना आते हैं और उन स्वप्न में यह नकारात्मक ऊर्जा नग्न स्त्री का रूप धारण करके आपके साथ जबरन संभोग करती हैं

साधक को ऐसा महसूस होता है जैसे यह सब वास्तविकता में हो रहा हो और उस पर एक वजह और होती है कि यह शक्तियां आपके परिवार में ऐसे व्यक्ति का रूप धारण करके आती हैं

जिसके बारे में ऐसा करना तो दूर सूचना भी पाप है यह कभी आपकी बहन बेटी मौसी बुआ ऐसे रिश्ते का स्वरूप लेकर आती हैं और आपके साथ साधक के साथ जबरन संबंध बनाती हैं

इस कारण साधक मानसिक और शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो जाता है और उसकी साधना कहीं ना कहीं खंडित हो जाती है

बगलामुखी साधना में इन सब से बचने के लिए बगलामुखी स्त्रोत, बगलामुखी कवच का एक एक बार पाठ करना चाहिए और इन सब के साथ यदि आपके ऊपर नकारात्मक शक्तियों का बहुत ज्यादा प्रभाव तो आप बगुला सूक्त के 9 पाठ प्रतिदिन9 दिन तक  करें

अगर आप चाहेंगे तो मैं इनके स्त्रोत आपके लिए यहां प्रकाशित करूंगा क्योंकि इन जाटों का शुद्ध रूप में मिलना बहुत मुश्किल है

बगुला  सूक्त के जाप से आपको हर प्रकार के तांत्रिक प्रयोगों से सुरक्षा भी मिलेगी कहा तो यह तक गया है के हिंदू धर्म शास्त्र में सबसे बड़ा प्रयोग भी इसके सामने असर हीन हो जाता है यानी यह आपको हर प्रकार के तांत्रिक प्रयोगों से सुरक्षा देता है









बगलामुखी साधना एक परिचय


प्राचीन काल में सतयुग में एक बहुत ही भीषण तूफान आया इससे होने वाली हानि की चिंता करके भगवान विष्णु ने जब अन्य कोई उपाय ना मिला तो उन्होंने सौराष्ट्र नामक प्रांत में हरिद्रा नाम के सरोवर के निकट मां भवानी की प्रसन्नता हेतु तब किया जिसके परिणाम स्वरूप देवी के बगलामुखी स्वरूप की प्रादुर्भाव हुआ और उन्होंने उस भयानक तूफान को शांत कर दिया यह देवी अपने साधनों के इच्छा अनुसार उनकी सर्व प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण करती है

इनका प्रादुर्भाव मंगलवार को चतुर्दशी में अर्धरात्रि में हुआ था और यह विष्णु के तेज से युक्त होने के कारण वैष्णवी हैं और इनका प्रयोग स्तंभन विद्या के रूप में बहुत ज्यादा किया जाता है इनका उपयोग शांति कर्म धन हानि के लिए पौष्टिक एवं शत्रु के विनाश के लिए अभिशाप कुकर्म के रूप में भी होता है वैसे यह विद्या श्री कुल की विद्या है इसलिए इस विद्या के प्रयोग से धन भोग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त किया जा सकता है और इसके साधक को हर वह दुर्लभ वस्तु प्राप्त हो सकती है जो किसी और को नहीं मिल सकती बगलामुखी के साधक को कई प्रकार की सिद्धियां भी प्राप्त हो जाती हैं जिनमें एक सबसे बड़ी सिद्धि अगर कहा जाए तो यह है कि उसे वाणी सिद्ध हो जाती है यानी कहां जाए तो उसके मुंह से निकला हुआ हर वाक्य सत्य हो जाता है यह चुकी स्तंभन विद्या है इस कारण जहां पर इनका जाप किया जाता है वह स्थान एकदम शांत हो जाता है और वहां बैठने से लोगों को बड़ी शांति भी मिलती है

मां बगलामुखी के बारे में बहुत सारे लोगों को सिर्फ यह बाद ज्ञात है कि इनकी उपासना शत्रु के विनाश हेतु ही की जाती है जबकि यह माता श्री कुल की है जिस कारण इनकी उपासना से धन प्राप्त होता है इनके साधकों को धर्म अर्थ काम मोक्ष सभी पद प्राप्त हो जाते हैं अगर कभी आप इनके मंत्र पर गौर करें तो पाएंगेकि इनका मंत्र दुष्टों के विनाश हेतु  है संसार से सभी दुष्टों का विनाश हो एवं हम सब सुखी एवं संपन्न रहें यह भावना है परंतु भ्रम के कारण जनमानस  इसे सिर्फ शत्रु संघार की देवी समझते हैं साथ ही इनके बारे में कई और भी भ्रांतियां हैं जैसे यह बहुत उग्र देवी हैं यह साधना बहुत उग्र है परंतु शायद हम भूल जाते हैं की यदि देवी की उपासना मां मानकर की जाए तो मां चाहे जैसी भी हो हमेशा हर हाल में अपने पुत्र का भला ही चाहेगी चाहे वह तो कैसी भी गलती क्यों ना करते मां का हृदय उसे क्षमा कर देता है तो मेरा तो आप सभी लोगों से यही कहना है की यदि आप इस कलयुग में अपना और अपने  परिवार का हित चाहते हैं परोपकार चाहते हैं तो इस साधना को अवश्य करें.

मां बगलामुखी के बारे में बहुत सारे लोगों को सिर्फ यह बाद ज्ञात है कि इनकी उपासना शत्रु के विनाश हेतु ही की जाती है जबकि यह माता श्री कुल की है जिस कारण इनकी उपासना से धन प्राप्त होता है इनके साधकों को धर्म अर्थ काम मोक्ष सभी पद प्राप्त हो जाते हैं अगर कभी आप इनके मंत्र पर गौर करें तो पाएंगेकि इनका मंत्र दुष्टों के विनाश हेतु  है संसार से सभी दुष्टों का विनाश हो एवं हम सब सुखी एवं संपन्न रहें यह भावना है परंतु भ्रम के कारण जनमानस  इसे सिर्फ शत्रु संघार की देवी समझते हैं साथ ही इनके बारे में कई और भी भ्रांतियां हैं जैसे यह बहुत उग्र देवी हैं यह साधना बहुत उग्र है परंतु शायद हम भूल जाते हैं की यदि देवी की उपासना मां मानकर की जाए तो मां चाहे जैसी भी हो हमेशा हर हाल में अपने पुत्र का भला ही चाहेगी चाहे वह तो कैसी भी गलती क्यों ना करते मां का हृदय उसे क्षमा कर देता है तो मेरा तो आप सभी लोगों से यही कहना है की यदि आप इस कलयुग में अपना और अपने  परिवार का हित चाहते हैं परोपकार चाहते हैं तो इस साधना को अवश्य करें. 

इनका मंदिर दतिया मध्य प्रदेश में पीतांबरा पीठ के नाम से स्थित है जहां पर स्वामी जी ने इनके साक्षात दर्शन किए थे और लोगों को इनकी कृपा प्राप्ति के रास्ते बताए थे स्वामी जी स्वयं सिद्ध महात्मा थे जिन्हें मां साक्षात सिद्ध रही हैं और इस मंदिर मैं इतना तब हुआ है कि यदि आप इस मंदिर के अंदर जब प्रवेश करेंगे तो आपको एक परम शांति का अनुभव होगा आपकी जो परेशानियां दुख तकलीफ है हैं वह मंदिर के बाहर ही छूट जाएंगे आप यहां आकर एक शांति का अनुभव करेंगे जो शायद आपको बाहर कहीं नहीं मिलेगी

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